कुमार श्री उदयभानसिंहजी बहादुर का जन्म 6 अक्टूबर 1901 को श्रीनगर, तालुका पोरबंदर , जिला पोरबंदर गुजरात में हुआ था। वह गुजरात के पोरबंदर रियासत के जेठवा वंश के अंतिम युवराज थे ।
स्वतंत्रता पूर्व काल में पोरबंदर जेठवा वंश की रियासत थी। राणा साघजी जेठवा 1120 - 1150 के दौरान 106वें शासक और जेठवा वंश के पहले राणा थे। उन्होंने 1193 में राज्य की स्थापना की जिसे बाद में 1785 में पोरबंदर नाम दिया गया।
राणा साहिब नटवरसिंहजी भावसिंहजी जेठवा को जेठवा वंश के 180वें शासक के रूप में राज्याभिषेक किया गया था। उन्हे कोई पुत्र संतान नहीं था जो उनके वंश को आगे बढ़ा सके, इसलिए उन्होंने चचेरे भाई शिवसिंहजी मोतीजी जेठवा के प्रथम पुत्र कुमार श्री उदयभानसिंहजी बहादुर को अपने बेटे के रूप में अपनाया | इस तरह श्री उदयभानसिंहजी बहादुर 12 जून 1941 को युवराज उदयभानसिंहजी नटवरसिंहजी जेठवा के रूप मे पोरबंदर के सिंहासन के उत्तराधिकारी बने।
युवराज उदयभानसिंहजी नटवरसिंहजी जेठवा ने अपनी प्राथमिक शिक्षा श्रीनगर और पोरबंदर में पूरी की और बाद में वाधवान के गिरसिया कॉलेज में दाखिला लिया। उसके बाद उन्होंने 1932 में गवर्नमेंट एग्रीकल्चर कॉलेज, पूना से बैचलर ऑफ एग्रीकल्चर की पढ़ाई की।
1951 के पूर्व सौराष्ट्र राज्य में किसानों को दीर्घकालिक कृषि ऋण प्रदान करने के लिए युवराज उदयभानसिंहजी नटवरसिंहजी ने सौराष्ट्र राज्य केंद्रीय सहकारी भूमि बंधक बैंक लिमिटेड की स्थापना एक शीर्ष सहकारी संस्था के रूप में की थी। वर्तमान मे यह बैंक "गुजरात राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड" के नाम से जाना जाता है
3 नवंबर 1967 को भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) उर्वरकों के उत्पादन और वितरण के प्राथमिक उद्देश्य के साथ एक बहु-इकाई सहकारी समिति के रूप में किया गया | युवराज उदयभानसिंहजी नटवरसिंहजी जेठवा ने 1968 - 1973 के दौरान इफको के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
युवराज उदयभानसिंहजी नटवरसिंहजी जेठवा व्यापक केंद्रीय कानून के दायरे की सिफारिश करने के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा स्थापित बहु राज्य सहकारी समिति विधान 1971 पर विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष थे।
सहकारिता के क्षेत्र में उनके असाधारण कार्य के कारण उन्हें पर एनसीडीसी की सहकारी कृषि ऋण की कार्यात्मक समिति, 1966 और सहकारी भूमि विकास बैंकों पर भारतीय रिजर्व बैंक समिति के सदस्य के रूप में चुना गया था।
उन्हें इस क्षेत्र में उनके योगदान के लिए, विशेष रूप से सहकारी आंदोलन, कृषि व्यापार से संबंधित उनके योगदान के लिए, गुजरात राज्य से व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में वर्ष 1971 में भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “पदम श्री” से सम्मानित किया गया था।
उन्हें दिसंबर 1967 से अप्रैल 1971 के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ का अध्यक्ष भी चुना गया था। वह राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता आंदोलन का नेतृत्व करने वाले गुजरात के पहले व्यक्ति थे।
1977 में राजकोट में उनकी मृत्यु हो गई।
युवराज उदयभाणसिंहज नटवरसिंहजी जेठवा
(1910 – 1977)
भारतीय सहकारिता आंदोलन के प्रमुख